कब होगा कन्या का विवाह


कब होगा कन्या का विवाह 

जब कन्या विवाह योग्य आयु प्राप्त कर लेती है, तो माता - पिता को उसके विवाह कि स्वभाविक चिंता सताने लगती है | उनके मन में अपनी कन्या के लिए अनेक जिज्ञासाये उठती है, जैसे - कन्या का विवाह कब होगा, पति कैसा मिलेगा, विवाह किस दिशा में होगा, ससुराल पक्ष कैसा होगा, विवाह उपरांत दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा, पति का व्यवसाय कैसा होगा, पति नोकरी वाला होगा या व्यवसायी, यदि नोकरी होगी तो उच्चस्तरीय होगी या सामान्य स्तर की, संतान सुख कैसा रहेगा आदि-आदि |

यदि आप विश्वास करे तो आपकी इस जिज्ञासाओ के समाधान में ज्योतिश विज्ञान आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकता है| कन्या कि जन्म कालीन ग्रह स्थितियों के आधार पर उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर विवाह से पूर्व आपको मिल सकते है|


तो देखे, कब होगा कन्या का विवाह -

इस प्रश्न के निर्णय के लिए सप्तम भाव व सप्तमेश कि प्रक्रति का ध्यान पूर्वक गूढता से विचार करना चाहिए, इसके साथ ही क्षेत्रीयता, लोक व वंश परम्परा तथा जाती व वर्ग आदि का भी ध्यान रखना चाहिए| साधक - बाधक योगो, दशांतर्दशा तथा गोचर ग्रहों को दृष्टिगत रखना चाहिए| यहाँ कुछ ऐसे शास्त्र समस्त व अनुभूत ग्रहों योगो पर प्रकाश डाल रहे है, जो विवाह समय कि आयु के निर्धारक है |
यदि सप्तमेश बुध शुभ प्रभाव युक्त हो तो विवाह अतिशीघ्र 18 से 22 वर्ष कि आयु के मध्य हो जाता है | इसके पश्चात क्रमश: मंगल, शुक्र, चन्द्र, गुरु, सूर्य व शनि को समझना चाहिए| यदि सप्तमेश शनि हो या सप्तम भाव में शनि हो तो विवाह 28 से 30 वर्ष कि आयु के बाद संपन होता है |


यदि सप्तमेश और लग्नेश 33 अंशो के अन्दर हो तो विवाह छोटी उम्र में ही हो जाता है|

यदि लग्न, दूसरा और सप्तम में शुभ ग्रह बैठे है अथवा शुभ ग्रहों से ह्ष्ट हो तो कन्या का विवाह कम उम्र में ही हो जाता है |

लग्न, दूसरा, सप्तम और शुक्र के पीड़ित होने पर विवाह देरी से होता है | इसके विपरीत सप्तमेश बलवान होकर केंद्र या त्रिकोणगत हो तो बचपन में विवाह हो जाता है |

यदि आठवे भाव से सांतवे शुक्र और अष्टमेश मंगल के साथ हो तो 22वे या फिर 27वे वर्ष में कन्या का विवाह होता है |

लग्नेश यदि सप्तमेश के नवांश में हो तो 13वे या 26 वे वर्ष में विवाह होता है |

यदि अष्टमेश, सप्तम भाव में लग्न के नवांश में शुक्र से युक्त हो तो विवाह 25 या फिर 33वे वर्ष में होता है |

नवम (भाग्य स्थान) से नवम स्थान अर्थात पंचम भाव में शुक्र हो उन दोनों में से किसी एक स्थान में राहू हो तो विवाह 31वे या फिर 33वे वर्ष में होता है |

यदि भाग्य स्थान में शुक्र और शुक्र से सांतवे भाव में सप्तमेश हो तो विवाह 25 वे वर्ष में होता है |

अब जरा दशांतर्दशा तथा गोचर को भी देखे - 

दशमेश कि महादशा और अष्टमेश कि अन्तदशा में विवाह हो जाता है |

शुक्र के साथ सप्तमेश हो तो उसकी दशांतर्दशा में विवाह हो जाता है |

शुक्र और चन्द्रमा में जो बली हो उस बली ग्रह कि महादशा में बृहस्पति का उपयुक्त गोचर जब आता है तो विवाह सम्पन हो जाता है |

कई बार सप्त्मस्थ ग्रह पर दृष्टि डालने वाले ग्रह कि दशा में बृहस्पति अनुकूल होने पर विवाह हो जाता है |

जब लग्नेश गोचर में सांतवे घर कि राशि में आवे और उस पर बृहस्पति कि दृष्टि हो तो विवाह हो जाता है |

गोचर में जब बृहस्पति केंद्र या त्रिकोण में आवे और सप्तम व सप्तमेश, लग्न व लग्नेश पर द्रष्टि हो तो शीघ्र विवाह के योग बन जाते है | 

जब गोचर का शुक्र सप्तमेश, लग्नेश कि राशि या लग्नेश के नवांश में त्रिकोण में जाता है तो विवाह हो जाता है |

लग्नेश और सप्तमेश के राशि अंश जोड़ने पर जो रश्यादी प्राप्त हो, उस रश्यादी में जब गोचर में बृहस्पति आयेगा तो उचित दशांतर्दशा के समय कन्या का विवाह संभव है |

 लेखक -          ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार
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