आकस्मिक धन लाभ योग – हेनरी फोर्ड की जन्म-कुंडली का विश्लेषण
ज्योतिष शास्त्र में धन से सम्बंधित जन्म -कुंडली में चार भाव होते हैं द्वितीय -भाव, पंचम-भाव, नवम -भाव, तथा एकादश -भाव| जन्म -कुंडली में नवम-भाव को भाग्य-स्थान भी कहते हैं | अतः भाग्य-स्थान प्रबल होने पर ही जातक को धन प्राप्ति होती हैं , अन्यथा नहीं | जन्म-कुंडली में एकादश भाव से लाभ देखा जाता है | द्वितीय -भाव से धन-सम्पति का विचार किया जाता है |पंचम-भाव, संचित -भाव कहलाता है |अत: इन भाव की स्थिति कुंडली में अच्छी होने पर धन का लाभ होता है | साथ ही इन चारों भावों के कारक बृहस्पति की स्थिति भी अच्छी हो तो उसे विपुल धन प्राप्त होता है | जन्म कुंडली में निम्न लिखित योग होने पर भी जातक को लॅाटरी व अन्य स्त्रोतों से धन लाभ होता है | लाभ -भवन का अधिपति ग्रह भाग्य-भवन में हो और भाग्य-भवन का अधिपति ग्रह लाभ-भवन में हो |लाभ-भवन का स्वामी ग्रह धन-भाव में हो और धनेश लाभ-भवन में हो | भाग्येश धन-भाव में हो और धनेश भाग्य-भवन में हो |इन भावों के स्वामी ग्रहों की युति केंद्र-त्रिकोण अथवा शुभ भावों में हो तो भी धन लाभ अच्छा होता है | प्रस्तुत जन्म-कुंडली में पंचम-भाव, द्वितीय -भाव, एकादश...