वास्तु

                         आसान से वास्तु उपाय, सफलता दिलाए
                                    वास्तु के टिप्स आजमाएं  




Article # 1

                                                                                 जरुरी बातें -  

1. CACTUS (कांटेदार पेड़ ) घर में नही होना चाहिए | 

2.हनुमानजी की मूर्ति दक्षिण -पूर्व में स्थापित नही करनी चाहिए | इससे आग लगने का डर रहता है |

3.दरवाजे सब अंदर खुलने चहिओइये ताकि ऊर्जा अन्दर ही बनी रहे |

4.दरवाजों के कब्ज़ों से आवाज़ नही होनी चाहियेनगर आवाज आती है तो कब्ज़े में तेल डाल दे |

5.दरवाजे अन्दर की तरफ दाहिने हाथ खुलें |

6.सोने का पलंग बीमं के नीचे ना हो |

7.किसी कमरे की छत पर 5 कोने नहीं होने चाहिए |

8.हर कमरे में उत्तर-पूर्व हल्का या खाली रखने की चेष्टा करें |

9.सीढ़ी में चढ़ते समय मुहं उत्तर य पूर्व की ओर हो |

10. शौचालय की सीट उत्तर-दक्षिण में हो |

11. दक्षिण-पश्चिम में दरवाजा-खिड़की बिल्कुल नही होने चाहिए |



                                           लेखक -          ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार





Article #2 -

 धन बाधा दूर करने वाले वास्तु के 7 महत्वपूर्ण ट‌िप्स



1. शयन कक्ष की ख‌िड़क‌ियों में क्र‌िस्टल लगवाना शुभ माना गया है | ऐसा करने से इससे टकराकर जो रोशनी घर में आती है वह सकारात्मक उर्जा लाती है जो 
आपको स्वस्‍थ्य और उर्जावान बनाती है। इससे आप अपनी उर्जा का इस्तेमाल सही द‌िशा में करके लाभ प्राप्त कर पाते हैं।
  


2. एक दर्पण इस प्रकार लगाएं क‌ि उसका प्रत‌िब‌िंब त‌िजोरी और धन रखने के स्‍थन पर हो। यह खर्चों को  कम करने में सहायक माना जाता है।


3.अपने घर की छत पर या चाहरदीवारी के अंदर एक बर्तन में पानी और अनाज रखें ज‌िससे पक्ष‌ियों को भोजन पानी म‌िले। वास्तु व‌िज्ञान के अनुसार पक्षी अपने साथ सकारात्मक उर्जा लाते हैं ‌ज‌िससे धन संबंधी बाधाएं और उलझनें दूर होती हैं।
    


4. अपने शयन कक्ष या घर की चाहरदीवारी के अंदर बाएं कोने में भारी चीज या कोई ठोस चीज रखें ऐसा करने से आय में बार-बार आ रही बाधा  या मेहनत के अनुरूप धन लाभ नहीं म‌िल रहा है तो ऐसी समस्या का समाधान कुछ ही दिनों में कम होने लग जाता है ।


5. नकारात्मक उर्जा को दूर करके सकारात्मक उर्जा को बढ़ाने के लिए घर में एक एक्‍वेर‌ियम रखें ज‌िसमें काले और सुनहरी रंग की मछली हो |



6. घर के मुख्य द्वार को हमेशा साफ रखें और उसके आस-पास की दीवारों पर रंग-रोगन करवाते रहें।




7. 

आपके घर के आस-पास नाला या बोर‌िंग है तो घर के उत्तर पूर्वी दीवार पर गणेश जी की तस्वीर लगाएं।




              
                                    लेखक -          ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार
       






Article # 3 
        

                                    वास्तु दोष युक्त भवनों के साधारण उपाय  


1. उत्तर-पूर्व  =  जब पानी पियें , अपना मुह उत्तर-पूर्व की तरफ रखें |

2. उत्तर-पश्चिम  = पूजा में उत्तर-पश्चिम में बेठें और उत्तर-पश्चिम की तरफ मुख रखें ताकि उत्तर-पश्चिम से वायु ग्रहण कर सकें |

3.दक्षिण-पूर्व = भोजन करते समय थाली दक्षिण-पूर्व की तरफ होनी चाहिए |

4.दक्षिण-पश्चिम =  मकान के दक्षिण-पश्चिम कोण में दक्षिण की और सिरहाना करके सोना हितकर हैं | 

5. प्रगति व उन्नत्ति हेतु लक्ष्मी,गणेश,कुबेर,स्वस्तिक,ॐ , मीन, एवं आदि मांगलिक चिन्ह मुख्यद्वार के ऊपर स्थापित करें |

6. यदि घर में कोई पूजा स्थल नहीं है तो उसे उत्तर-पूर्व (ईशान) कोण में रखकर पूजा करें |

7. दक्षिण-पश्चिम दिशा में अधिक दरवाजे और खिड़कियाँ हों तो उन्हें बंद करके उनकी संख्या कम कर दें |

8. रसोई घर गलत स्थान पर हो तो अग्निकोण में एक बल्ब लगा दें और सुबह-शाम उसे अनिवार्य रूप से जलाएं |
9. बीम के दोष को शांत करने के लिए बीम को सीलिंग टाइल्स से ढक देवे | बीम के दोनों और बॉस की बांसुरी लगायें |

10. घर के दरवाजे पर घुड़नाल (लोहे की ) लगायें | यह अपने आप पड़ी हुए होनी चाहिए |

11. यदि प्लाट ख़रीदे हुवे बहुत समय हो गया हो और मकान बनाने का योग न आ रहा हो तो उस प्लाट में अनार का पौधा पुष्य नक्षत्र में लगायें |

12. घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए मुख्या द्वार पर एक ओर केले का वृक्ष, दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में लगायें |  

                  इन नियमों को व्यवहार में लाने से सुख-समृद्धि की वृधि होती है |

                                                       लेखक -          ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार
                                                                              



Article # 4                                                              वास्तु में वेध विचार


वास्तु शास्त्र में वेध दोषों का वर्णन मिलता है |
 जैसे- मार्गवेध,द्वारवेध,स्तम्भवेध,तुलावेध,कोणवेध,कपालवेध,वृक्षवेध आदि अनेक वेध वर्ग है |इनमे से कुछ प्रमुख वेध जो त्वरित अपना प्रभाव प्रगट करते हीं है | इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी पाठकों को लाभार्थ प्रस्तुत है- 


                                                                      मार्ग और दिशा वेध--


1.ईशान (पूर्व और उत्तर)वायव्य (केवल पश्चिम)और आग्नेय (केवल दक्षिण)य चारों मार्ग वैसे शुभ हैं किन्तु 
यदि ठीक प्रवेश द्वार के सामने हो तो शुभ नही होंगे |

2.किसी भवन की चारो दिशाओं से चार रास्ते यदि किसी भवन के मुख्य द्वार पर आकर रुक जाते है तो ऐसी जगह रहने वाले को अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है  |

3.कोई भी रास्ता किसी भी दिशा से आकर घर के ठीक सामने या पास में आकर रुक जाता है अर्थात वह रास्ता आगे नही जा रहा है तो ऐसी जगह पर मकान नही बनाना चाहिए |

4.मकान में प्रवेश के लिए यदि किसी भी दिशा से अत्यधिक वक्री मार्ग से जाना पड़े तो वह शुभ नही है |
                            

                                                                       द्वार ( Gate ) वेध


घर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने कोई वृक्ष,कुआं,पानी की टंकी, हैण्ड पंप आदि होने पर गृह स्वामी को मृत्यु तुल्य कष्ट|घर के आँगन में द्वार को  वेध करते हुए कुआं होना बहुत अशुभ है, स्वामी के लिए प्राणघातक है | इसी प्रकार घर के दरवाजे के सामने या बीच चौक मे सीढ़ी होना भी वेध की श्रेणी में ही है |दरवाजे के बीच कोई कील आदि गढ़ी हुए नही होनी चाहिए|घर के पीछे की ओर मुख्य दरवाजे की सीध में कोई अन्य दरवाजा वेध है | मकान की दाई तरफ अन्य दरवाजे से भी वेध है |

                                                 

                                                 मुख्य दरवाजे के संबंध में अन्य विशेष फल 


1.छिद्र वेध - वास्तु नियमो के अनुसार घर के पीछे की तरफ कोई छिद्र आदि नही होना चाहिए , क्योंकि चोरों का भय सदैव बना रहता है |  घर की अंदरूनी वस्तुएं देखी जा सकती है घर में आसुरीवृति का प्रभाव बना रहेगा |

2.चित्रादी वेध - मकान में क्रूर और हिंसक जानवर, जीव -जंतु, पशु-पक्षी तथा डरावनी आकृतियों के चित्रादि नहीं टांगने चाहिए , न ही लगाने चाहिए | यह दोष की श्रेणी में ही आते है |

3.शिल्प वेध - एक मंजिल से दुसरे मंजिल की ऊँचाई व आकर सामान नही होने चाहिए |इसे सैम वेध कहते है | एक मंजिल से दूसरी मंजिल की ऊंचाई तीन इंच कम रखनी चाहिए| ऊपर की मंजिल की चौड़ाई दोनों तरफ से 6-6 इंच कम होनी चाहिए |

4. गर्भ वेध- मुख्य द्वार के बीच में  या मध्य के सामने कोई दीवार नही बनानी चाहिए |गर्भ वेध के कारण उस मकान में सदैव क्लेशपूर्ण वातावरण रहता है तथा लक्ष्मी निवास नही करती | 

5. ध्वज वेध- मकान पर किसी देव मंदिर की ध्वजा की छाया पड़ने पर ध्वज वेध कहलाता है | ध्वज वेध के कारन उस मकान में रहने वाले ह्रदय रोग, मिर्गी रोग, पागलपन, लकवा, पित्त एवं वायु विकार,रक्तचाप आदि बीमारियों से ग्रसित रहते हैं तथा शरीर में देवी-देवताओं तथा पितरों का आवेश प्रतीत होता है |

6.अन्य वेध - मकान के सामने धोबी, लुहार, कुम्हार, आटा पीसने की चक्की, शव विश्राम स्थल जिसे मध्य वासा या बिचला वासा भी कहते है नहीं होना चाहिए | 

                          
                                       अतः जहाँ तक संभव हो इन वास्तु वेधो से बचते हुए मकान, भवन आदि की निर्माण रचना करना चाहिए | इस प्रकार के वेध रहित निर्माण से मकान में सुख शान्ति एवं समृद्धि प्राप्त की जा सकती है |
  
                                                                                               लेखक - ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार








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