जानें कब होगा आपका भाग्योदय
जन्मकुंडली अर्थात मनुष्य के जीवन का पूर्ण सार जिसे राशी एवं नक्षत्रों के आधार पर बांटा गया है । कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी होना तो आवश्यक है ही, भाग्य से संबंधित ग्रहों का शुभ होना तथा उनकी दशान्तर्दशा का सही समय पर व्यक्ति के जीवन में आना भी उतना ही आवश्यक होता है अन्यथा कुंडली अच्छी होने पर भी यदि कार्य करने की उम्र शत्रु, नीच या पाप प्रभावी ग्रहों की दशान्तर्दशा में ही व्यतीत हो रही हो तो, लाख प्रयत्न करने के बाद भी उसका फल नही मिल पता | ऐसा क्यों ? प्रत्येक जातक की कुंडली में नवम् भाव को भाग्य भाव भी माना जाता है। इस भाव में जिस राशि का आधिपत्य होता है, उसके अनुसार भाग्योदय का वर्ष तय किया जाता है।इसके साथ-साथ नवम् भाव में स्थित ग्रह और नवम् भाव पर अन्य ग्रहों की दृष्टि भी भाग्योदय में सहायक सिद्ध होती हैं | शुभ ग्रह का नवम् में स्थित होना भी प्रायः कम उम्र में भाग्योदय को दर्शाता है | कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं और ये 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं | हर भाव का अपना महत्व होता...