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विभिन्न रत्नों के विशेष फल एवं प्रभाव

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रत्न शब्द का प्रयोग श्रेष्ठ के अर्थ में किया जाता है | जो वस्तु या पदार्थ अपने वर्ग में श्रेष्ठ हो उसे रत्न की संज्ञा दी जाती है |जैसे मनुष्यों में श्रेष्ठ पुरुष को ” नररत्न” कहा जाता है | फिर भी इस श्रेष्ठता को खनिज, वनस्पति और जलीय पदार्थ समूह तक सीमित रखकर विचार किया जाएगा | जैसे सुंदर पदार्थ को देखकर सभी प्राणी प्रसन्न हो जाते हैं और जो अपनी जाति में श्रेष्ठ होता है उसे रत्न कहते हैं | रत्नों के भेद व प्रकार   :-   अंग्रेजी में रत्नों को Precious Stone और उपरत्न को Semi Precious Stone कहा जाता है | उत्पत्ति एवं प्राप्ति स्थान की भिन्नता के कारण रत्नों को तीन वर्गों में रखा जा सकता है| खनिज उत्पादित जाति के रत्न जैसे हीरा, माणक, नीलम इत्यादि | जैविक रत्न (प्राणिज) जैसे मोती आदि | वनस्पतिज जैसे कहरवा | रत्नों के विशेष गुण   :- रत्न विशेषकर खनिज वर्ग के रत्न,  कठोर व चिकने और आभा वाले होते हैं | प्रकाश रश्मियों के परावर्तन करने की इनमे अद्भुत क्षमता होती है इसलिए प्रकाश का संपर्क प्राप्त कर के यह और भी अधिक चमकने  लगने लगते  है...