हस्त रेखा
Article # 1
कुछ बातें जो जीवन रेखा देखकर मालूम कर सकते हैं |
हथेली में सामान्यत: तीन रेखाएं मुख्य रूप से दिखाई देती हैं। ये तीन रेखाएं जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा है। इनमें से जो रेखा अंगूठे के ठीक नीचे शुक्र पर्वत को घेरे रहती है, वही जीवन रेखा कहलाती है। यह रेखा इंडेक्स फिंगर के नीचे स्थित गुरु पर्वत के आसपास से प्रारंभ होकर हथेली के अंत मणिबंध की ओर जाती है। छोटी जीवन रेखा कम उम्र और लंबी जीवन रेखा लंबी उम्र की ओर इशारा करती है। यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो तो यह अशुभ होती है, लेकिन उसके साथ ही कोई अन्य रेखा समानांतर रूप से चल रही हो तो इसका अशुभ प्रभाव नष्ट हो सकता है।
1.यदि दोनों हाथों में जीवन रेखा बहुत छोटी हो तो वह व्यक्ति अल्पायु हो सकता है। जीवन रेखा जहां-जहां श्रृंखलाकार होगी, उस आयु में व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
2. यदि मस्तिष्क रेखा (मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा लगभग एक ही स्थान से प्रारंभ होती है) और जीवन रेखा के मध्य थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है।
3.यदि दोनों हाथों में जीवन रेखा टूटी हुई हो, तो व्यक्ति को असमय मृत्यु समान कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। यदि एक हाथ में जीवन रेखा टूटी हो और दूसरे हाथ में यह रेखा ठीक हो, तो यह किसी गंभीर बीमारी की ओर इशारा करती है।
4. यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य अधिक अंतर हो तो व्यक्ति बिना सोच-विचार के कार्य करने वाला होता है।
5. यदि किसी व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा श्रृंखलाकार या अलग-अलग टुकड़ों से जुड़ी हुई या बनी हुई हो तो व्यक्ति निर्बल हो सकता है। ऐसे लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से भी परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसा विशेषत: तब होता है, जब हाथ बहुत कोमल हो। जब जीवन रेखा के दोष दूर हो जाते हैं तो व्यक्ति का जीवन सामान्य हो जाता है।
6. यदि जीवन रेखा से कोई शाखा गुरु पर्वत क्षेत्र (इंडेक्स फिंगर के नीचे वाले भाग को गुरु पर्वत कहते हैं।) की ओर उठती दिखाई दे या गुरु पर्वत में जा मिले तो इसका अर्थ यह समझना चाहिए कि व्यक्ति को कोई बड़ा पद या व्यापार-व्यवसाय में तरक्की प्राप्त होती है।
7. यदि जीवन रेखा से कोई शाखा शनि पर्वत क्षेत्र (मिडिल फिंगर के नीचे वाले भाग को शनि पर्वत कहते हैं।) की ओर उठकर भाग्य रेखा के साथ-साथ चलती दिखाई दे तो इसका अर्थ यह होता है कि व्यक्ति को धन-संपत्ति का लाभ मिल सकता है। ऐसी रेखा के प्रभाव से व्यक्ति को सुख-सुविधाओं की वस्तुएं भी प्राप्त हो सकती हैं।
8. यदि जीवन रेखा, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा तीनों प्रारंभ में मिली हुई हो तो व्यक्ति भाग्यहीन, दुर्बल और परेशानियों से घिरा होता है। (हृदय रेखा इंडेक्स फिंगर और मिडिल फिंगर के आसपास से प्रारंभ होकर सबसे छोटी उंगली की ओर जाती है।)
9. यदि जीवन रेखा को कई छोटी-छोटी रेखाएं काटती हुई नीचे की ओर जाती हो तो ये रेखाएं व्यक्ति के जीवन में परेशानियों को दर्शाती हैं। यदि इस तरह की रेखाएं ऊपर की ओर जा रही हों तो व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है।
10. यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होता है। ये लोग अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
11. जब टूटी हुई जीवन रेखा शुक्र पर्वत के भीतर की ओर मुड़ती दिखाई देती है तो यह अशुभ लक्षण होता है। ऐसी जीवन रेखा बताती है कि व्यक्ति को किसी बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है।
12. यदि जीवन रेखा अंत में दो भागों में विभाजित हो गई हो तो व्यक्ति की मृत्यु जन्म स्थान से दूर होती है।
13. जीवन रेखा पर वर्ग का चिह्न हो तो यह व्यक्ति के जीवन की रक्षा करता है। आयु के संबंध में जीवन रेखा के साथ ही स्वास्थ्य रेखा, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा और अन्य छोटी-छोटी रेखाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए।
14.हस्तरेखा ज्योतिष में बताया गया है कि लंबी, गहरी, पतली और साफ जीवन रेखा शुभ होती है। जीवन रेखा पर क्रॉस का चिह्न अशुभ होता है। यदि जीवन रेखा शुभ है तो व्यक्ति की आयु लंबी होती है और उसका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
15. यदि किसी व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा चंद्र पर्वत तक चली जाए तो व्यक्ति का जीवन अस्थिर हो सकता है। अंगूठे के नीचे वाले भाग को शुक्र पर्वत कहते हैं और शुक्र के दूसरी ओर चंद्र पर्वत स्थित होता है। यदि इस प्रकार की जीवन रेखा कोमल हाथों में हो और मस्तिष्क रेखा भी ढलान लिए हुए हो, तो व्यक्ति का स्वभाव स्थिर होता है। इस प्रकार के लोग साहस भरे और उत्तेजना से पूर्ण कार्य करना चाहते हैं।
ध्यान रखें- हस्तरेखा में दोनों हाथों की बनावट और रेखाओं का पूरा अध्ययन करना बहुत जरूरी है। यहां बताए गए फल हथेली की अन्य स्थितियों से बदल भी सकते हैं। इसी वजह से किसी व्यक्ति के बारे में सटीक भविष्यवाणी करना हो तो दोनों हथेलियों का अध्ययन करना चाहिए।
रेखाओं और पर्वतों के हिन्दी नाम और इंग्लिश नाम
जीवन रेखा- Life Line
हृदय रेखा- Heart Line
मस्तिष्क रेखा- Head Line
सूर्य रेखा- Sun Line or Fame Line
भाग्य रेखा- Fate Line
शुक्र पर्वत- Venus Mount
चंद्र पर्वत- Moon Mount
गुरु पर्वत- Jupiter Mount
मंगल पर्वत- Mars Mount
शनि पर्वत- Saturn Mount
सूर्य पर्वत- Sun Mount
बुध पर्वत- Mercury Mount
लेखक - ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार
Article #2 हथेली में रेखाओं के किन योगों से हो सकता है कौन सा रोग
हथेली की रेखाओं से यह भी मालूम किया जा सकता है कि भविष्य में किसी व्यक्ति को कौन से रोग हो सकते हैं। यहां जानिए ऐसे ही कुछ योग जो बताते हैं रेखाओं के किन योगों से कौन से रोग हो सकते हैं…
1. पेट रोग- किसी व्यक्ति की हथेली में चन्द्र पर्वत पर नक्षत्र चिह्न हो तो पेट रोग होने की संभावना रहती है।
2. हृदय रोग- जिसकी हृदय रेखा में द्विप वृत्त चिह्न हो शनि क्षेत्र के नीचे मस्तिष्क रेखा का रंग पीला हो या आयु रेखा के पास वाले मंगल क्षेत्र पर काला बिन्दु हो या हृदय रेखा पर काले तिल का चिह्न हो एवं द्विप हो तो व्यक्ति को आकस्मिक मूर्छा तथा हृदय रोग हो सकता है।
3. आंत रोग- यदि रेखाएं पीले रंग की हो, नाखून रक्त वर्ण एवं धब्बेदार हो तथा बुध रेखा खंडित हो तो व्यक्ति को आंतों की बीमारी हो सकती है।
4. रीढ़ का रोग- यदि हृदय रेखा पर शनि के नीचे द्विप चिह्न हो तो व्यक्ति को रीढ़ की बीमारी हो सकती है।
5. दांतों का रोग- जिस व्यक्ति की हथेली में शनि क्षेत्र उच्च हो और उस पर अधिक रेखाएं हो बुध शनि रेखा लहरदार एवं लम्बी हो उंगलियों के द्वितीय भाग लंबे हो तो दांत के रोग हो सकते हैं।
6.गुर्दे का रोग- यदि मस्तिष्क रेखा पर, मंगल के समीप सफेद रंग के दाग हो एवं दोनों हाथों की हृदय रेखा टूटी हुई हो तो व्यक्ति को गुर्दे का रोग होता है।
7. दमा रोग- यदि हाथों का मध्य का भाग छोटा हो, स्वास्थ्य रेखा बिगड़ी हुई हो, बुध रेखा मस्तिष्क रेखा से मिले एवं शुक्र पर्वत से एक बारिक रेखा निकल कर आयु रेखा को पार करके मगंल क्षेत्र पर जाए तो दमा, खांसी एवं सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
8. पीलिया रोग- यदि व्यक्ति को बुध रेखा पर नक्षत्र चिह्न एवं द्विप चिह्न हो और उसी स्थान पर काला धब्बा हो तो व्यक्ति को पीलिया रोग हो सकता है।
9. फेफड़े का रोग- मस्तिष्क रेखा पर शनि क्षेत्र के नीचे जंजीर जैसी आकृति हो तो व्यक्ति को फेफड़े तथा गले की बीमारी हो सकती है।
10. क्षय रोग- जिस व्यक्ति की हथेली में नाखून ऊंचे हो और मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत से बुध पर्वत तक पंखदार होकर जा रही है तो व्यक्ति को क्षय रोग (टीबी) होने की संभावनाएं रहती हैं।
11. मिर्गी रोग- यदि उंगलियां टेढ़ी व नुकिली हो और उंगलियों के नीचे के पर्वत दबे हुए हों, नाखून लाल हो या उन पर छोटे चिह्न हों तो मिर्गी रोग हो सकता है।
12. पैर से संबंधित रोग- जिस वयक्ति की हथेली मे शनि पर्वत उच्च हो एवं रेखाएं भी अधिक हों तथा मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत के नीचे टूट जाए तो व्यक्ति को पैरों में दर्द अथवा पैर से संबंधित रोग हो सकते हैं।
13. गठिया रोग- यदि व्यक्ति की स्वास्थ्य रेखा घिसी हुई सी छिन्न-भिन्न हो एवं चंद्र पर्वत से एक रेखा निकलकर आयु रेखा को काटती जाए तो गठिया रोग हो सकता है।
14. जलोदर- यदि चंद्र पर्वत पर नक्षत्र चिह्न हो और चंद्र पर्वत के नीचे का भाग उच्च होकर अनेक रेखाओं से कटा हुआ हो एवं उस पर भी नक्षत्र चिह्न हो तो व्यक्ति को जलोदर रोग हो सकता है।
15. एसिडिटी- चंद्र पर्वत अधिक उन्नत हो तो एसिडिटी रोग होने की संभावनाएं रहती हैं।
16. त्वचा रोग- यदि व्यक्ति के नाखून बासुंरी आकार के हो एवं हथेली की त्वचा कोमल हो तो व्यक्ति को त्वचा रोग हो सकते हैं।
17. लकवा रोग- नाखून छोटे व त्रिकोणाकार हों और शनि पर्वत उच्च होकर कई रेखाओं से कटा हुआ हो और उस पर नक्षत्र का चिह्न हो तथा चंद्र पर्वत पर जाल हो, मुख्य रेखाएं भी शुभ न हो तो व्यक्ति को लकवा रोग हो सकता है।
लेखक - ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार
Article #3
भाग्य रेखा
भाग्य रेखा को किस्मत की रेखा के रूप में भी जाना जाता है । यह हथेली के केंद्र मे स्थित होती है , इस रेखा का उदगम कलाई से, चंद्र पर्वत से, जीवन रेखा से, मस्तिष्क रेखा या ह्रदय रेखा से होता है । इस रेखा द्वारा उन सभी क्रियाओ को जाना जा सकता है जो हमारी अप्रत्यक्ष क्षमताओं को बताता है जैसे शिक्षा और कैरियर, हमारी सफलता और विफलता से संबंधित निर्णय और उन निर्णय से होने वाले फल एवं इनमे आनी वाली बाधाओं का बोध कराता है ।
भाग्य रेखा के आकार द्वारा किस्मत से सम्बंधित महत्वपूर्ण निर्णयों का निर्धारण नीचे किया जा रहा है :-
यदि भाग्य रेखा सीधी है और यह रेखा चंद्र पर्वत से मिलती है, तो इससे पता चलता है कि व्यक्ति का कैरियर अप्रत्याशित रूप से प्रभावित होगा ।
यदि भाग्य रेखा शनि पर्वत की ओर जाती हो और उसकी शाखाएं किसी दूसरे पर्वत से मिलती हो तो ऐसे व्यक्ति के जीवन पर उस पर्वत के गुणो का अधिक प्रभाव रहेगा ।
यदि भाग्य रेखा की एक शाखा गुरु पर्वत की दिशा की ओर जाती है तो किसी विशेष चरण मे ऐसा व्यक्ति सामान्य से अधिक सफलता पाता है ।
यदि भाग्य रेखा का उदगम मंगल स्थान के आगे से हो तो व्यक्ति कठिन और मुश्किल समय व्यतीत करेगा ।
यदि भाग्य रेखा की एक शाखा चंद्र पर्वत की ओर दूसरी शाखा शुक्र पर्वत की ओर जाती है तो ऐसे व्यक्ति का जीवन, कल्पना से जुनून द्वारा प्रभावित रहेगा ।
यदि भाग्य रेखा टूटी हुई है तो यह दुर्भाग्य और हानि की निशानी है और यदि इसी के समानांतर दूसरी रेखा आरंभ हो जाए तो व्यक्ति के जीवन मे भारी परिवर्तन आता है ।
यदि दो भाग्य रेखा समानान्तर चलती हो तो यह एक शुभ संकेत है ऐसा व्यक्ति दो अलग अलग क्षेत्र मे महारथ हासिल करेगा ।
यदि भाग्य रेखा पर वर्ग की उपस्थिति हो तो ऐसे व्यक्ति को व्यापार या वित्तीय मामलों में हानि नही होती है ।
यदि भाग्य रेखा पर वर्ग के साथ क्रास का चिन्ह हो तो ऐसे व्यक्ति को संकट का सामना करना पड़ेगा तथा साथ ही द्वीप की उपस्थिति ये दर्शाती है कि व्यक्ति को ं दुर्भाग्य हानि और आपदाओं का सामना करना पड़ेगा ।
यदि चंद्र पर्वत से कोई शाखा भाग्य रेखा पर जा कर मिलती है तो ये दर्शाती है कि व्यक्ति के वैवाहिक जीवन एवं आम जीवन मे इच्छाओ की प्रबलता रहेगी ।
जिस व्यक्ति के हाथ मे भाग्य रेखा अनुपस्थित होती है, ऐसे व्यक्ति जीवन में कितनी भी सफलता प्राप्त करे परन्तु उसका जीवन घास-फूस के समान होता है ।
लेखक - ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार
Article # 4
विवाह रेखा
विवाह रेखा की क्षैतिज रेखाएं कनिष्ठा के नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित होती हैं। इन रेखाओं से रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी और पति - पत्नी के बीच प्यार और स्नेह के अस्तित्व का संकेत मिलता है। परन्तु विवाह संबंधित खुशहाल जीवन की भविष्यवाणी शुक्र पर्वत और हृदय रेखा को ध्यान मे रख कर भी किया जाता है
विवाह रेखा के विभिन्न प्रकार के आकार और उसकी स्थित, विवाह संबंधित ख़ुशियों की भविष्यवाणी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विवाह रेखा के आकार और उसकी स्थिति का वर्णन नीचे दिया गया है
यदि विवाह रेखा हृदय रेखा के समीप स्थित हो तो व्यक्ति का विवाह चौदह से इक्कीस वर्ष के बीच कम उम्र मे होगा, यदि वह मध्य मे स्थित है तो विवाह इक्कीस से अट्ठाईस वर्ष के बीच और यदि विवाह रेखा हृदय रेखा के तीन चौथाई भाग पर स्थित है तो व्यक्ति का विवाह अट्ठाईस से पैंतीस वर्ष के बीच होना चाहिये।
-यदि विवाह रेखा विकसित और गहरी होते हुये भाग्य रेखा पर मिले तो व्यक्ति का विवाह अमीर घराने मे होना चाहिये।
-विवाह रेखा बुध पर्वत पर सीधी, बगैर टूटे, क्रास या अनियमितताओं के बिना होनी चाहिये।
यदि विवाह रेखा नीचे की ओर हृदय रेखा की तरफ जाए तो व्यक्ति जिससे विवाह करेगा उसकी मृत्यु पहले दर्शाती है।
-यदि ये रेखा ऊपर की तरफ मुडी हुई हो तो व्यक्ति का विवाह जीवनकाल मे नही होगा ऐसा दर्शाता है।
-यदि विवाह रेखा स्पष्ट और विशिष्ट है और उससे महीन रेखाएं हृदय रेखा पर गिर रही हो तो यह दर्शाता है कि व्यक्ति जिससे विवाह करेगा उसका स्वास्थ्य खराब रहेगा।
- यदि विवाह रेखा के किसी भी स्थान पर द्वीप स्थित हो जो यह दर्शाता है कि व्यक्ति का विवाहित जीवन सुखी नही रहेगा और अलगाव भी हो सकता है।
- यदि ये रेखा अंत मे एक दूसरे को काटे और चिमटी का आकार हथेली के केंद्र मे बनाए तो व्यक्ति के न्यायिक अलगाव या तलाक की भविष्यवाणी की जा सकती है।
- यदि इस रेखा मे छोटे छोटे कई द्वीप और महीन रेखाएं हो तो ऐसे व्यक्ति को विवाह नही करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उसका वैवाहिक जीवन दुखमय रहेगा।
- यदि विवाह रेखा की एक शाखा सूर्य रेखा की ओर जाए तो व्यक्ति का विवाह ऐसे व्यक्ति से होगा जो समाज मे प्रसिद्ध होगा।
- यदि ये रेखा आगे बढ़कर सूर्य की रेखा को काटे तो व्यक्ति विवाह के बाद अपनी पद और प्रतिष्ठा खो देता है।
- यदि कोई महीन रेखा इस रेखा के समानांतर चले और विवाह रेखा के करीब से निकले तो ऐसे व्यक्ति विवाह के बाद गहरा स्नेह दर्शाते हैं।
लेखक - ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार
Article # 5
हथेली के ये लक्षण होते हैं धन के मामले में भाग्यशाली
हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हथेली पर पाए जाने वाले चिन्हों व रेखाओं से जीवन में धन लाभ कब होगा व कितना होगा, इन बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में….
1. हथेली में जीवन रेखा सही गोलाई में हो। मस्तिष्क रेखा दो भागों में बंटी हो। त्रिकोण का चिन्ह बना हो। ऐसे तीनों लक्षण हथेली पर एक साथ पाया जाना धन के मामले में शुभ संकेत करता है। समय-समय पर अचानक धन का लाभ मिलता रहता है।
2. भाग्यरेखा हथेली के अंत स्थान यानी मणिबंध से शुुरू हो रही हो। साथ ही शनि पर्वत तक पंहुच रही हो। साथ ही भाग्य रेखा पर किसी प्रकार के अशुभ निशान न हो तो व्यवसाय में सफलता मिलने की ओर संकेत करता है। व्यवसाय से धन लाभ होने का योग बनता है।
3. जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और भाग्य रेखा तीनों ही सही लंबाई में हो। तीनों रेखाओं पर अशुभ चिन्ह न हो। हथेली पर पाए जाने वाले ये दो लक्षण धन के मामले में लाभ करवाने वाले माने गए हैं। ऐसी रेखाओं के साथ जीवन रेखा से उदय होने वाली भाग्य रेखा कई भागों में बंटी हो यानी शाखायुक्त हो तब अपार धन संपदा का मालिक बनने का योग होता है।
4. हथेली भारी और फैली हुई हो। उंगलियां कोमल और नरम हो। ऐसी हथेली होने से बहुत धनवान होने का योग बनता है।
5. हथेली में शनि पर्वत यानी मध्यमा उंगली के पास आकर दो या इससे अधिक रेखाएं आकर ठहरती हैं, तो अनेक तरफ से धन और सुख लाभ करवाने वाली होती है।
6. शनि पर्वत अगर उठा हुआ हो। जीवन रेखा सही तरीके से घुमावदार हो। ये लक्षण हथेली में होने से धनवान बनाते हैं।
7. मस्तिष्क रेखा सही स्थिति में हो यानी कि टूटी हुई और कटी हुई नहीं हो। साथ ही भाग्य रेखा की एक शाखा जीवन रेखा से निकलती हो। हथेलियां गुलाबी व मांसल हो तो करोड़ों में संपदा होने का योग बनता है।
8. उंगलियां सीधी और पतली हो। हृदय रेखा गुरु पर्वत तक जाए। भाग्य रेखा एक से अधिक हो। हथेली के ये लक्षण धन संपत्ति के मामले में लकी बनाते हैं। नौकरी करें या व्यवसाय आमदनी करोड़ों में होने का योग बनता है।
9. चंद्र पर्वत से कोई रेखा निकलकर शनि पर्वत पर पहुंचे और इस पर कहीं त्रिभुज का चिन्ह बन रहा हो तब व्यक्ति की आय सामान्य रहती है।
10. चंद्र पर्वत से कोई पतली रेखा अगर मस्तिष्क रेखा पर आकर रुक जाए तो व्यक्ति भावुकता के कारण अपने भाग्य की हानि करता रहता है। ऐसे व्यक्ति की आय भी सामान्य रहती है।
11. भाग्य रेखा शुरुआत में मोटी हो और बाद में पतली होती जाए और सीधे शनि पर्वत पर जाए। उंगलियां पतली और सीधी हों। हथेली पर गुरु, सूर्य, शनि, बुध चारों पर्वत अच्छी स्थिति में हो यानी कि सही तरीके से उभार लिए हो। हाथ का रंग साफ हो। तब अचानक धन लाभ होने से धनवान होने का योग बनता है।
लेखक - ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार





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