तंत्र मंत्र
सिद्धि विनायक गणपति के मंत्र प्रयोग
1 .परीक्षा में सफलता प्राप्ति के लिए - परीक्षा में सफलता के लिए गणपति के घृत का दीपक जलाकर नित्य एक माला " ॐ गुणप्रवणवर्धनाय नमः " मंत्र के जाप करे |
2. कार्य सिद्धि हेतु - गणपति की नियमित विधि विधान से पूजा करके मोदकार्चन के साथ " ॐ मोदक प्रियाय नमः " मंत्र के जप करने से मनोवांछित कार्यो में सिद्धि प्राप्त होती है |
3. साक्षात्कार में सफलता प्राप्ति के लिए - गणपति जी की प्रतिमा पर दूब चढ़ाकर प्रतिदिन " ॐ गुणप्राघाय नमः " की माला प्रतिदिन जप करने से निश्चित सफलता मिलती है |
4. सुख सौभाग्य वृद्धि के लिए - सिद्धि विनायक गणपति की प्रतिमा पर प्रतिदिन पुष्पमाला चढ़ाकर
" ॐ गजाननाय नमः " मंत्र की एक माला प्रतिदिन जप करे तो सर्व प्रकार सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है |
5. ऋण मुक्ति के लिए - सिद्धि विनायक गणपति पर प्रतिदिन दूध मिश्रित जल चढ़ाकर नित्य
" ॐ ऋण मोचनाय गनपतयै नमः " मंत्र की एक माला प्रतिदिन जप करे से व्यक्ति शीघ्र ऋण से उन्मुक्त हो जाता है |
6. शत्रुनाश के लिए - गणपति जी पर " ॐ विघ्न राजाय नमः " मंत्र की 11 मालाओं के नित्य जाप करे |
7. कन्या के विवाह में अनावश्य विलम्ब एवं बाधा को दूर करने हेतु उस कन्या को सिद्द्धि विनायक गणपति पर " ॐ हेरम्ब गनपतयै नमः " मंत्र के साथ दुर्वाकुर चढाते हुवे प्रतिदिन एक माला के जप कर अंत में नमस्कार करें | 108 दिन के प्रतिदिन प्रयोग के कन्या को शीघ्र हीओग्य वर की प्राप्ति होती है |
Article # 2
मानस के सिद्ध मंत्रों द्वारा सफलता एवं कष्ट निवारण
तुलसीदास जी की रामायण " रामचरित मानस एक काव्य है पर उसके विशिष्ट स्थलों की चौपाइयों, दोहों, और सोरठों को काशी विश्वनाथ के वरदान द्वारा शक्ति सम्प्पन किया गया है जो मंत्र के रूप में साधना का विषय बन सकती है |मानस के इन चौपाइयों, दोहों, और सोरठों से आपको निश्चित ही सफलता मिलेगी |
प्रयोग विधि- ये प्रयोग कोई निश्चित जप संख्या के नही है अतः शुभ दिन एवं शुभ समय देखकर साधक पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुहं करके आसन बिछाकर बैठ जाये | आसन ऊन, कुश, मृगछाला अथवा रेशमी हो सकता है|हनुमानजी का चित्र अपने सामने रखे | जाप के समय घी का दीपक तथा अगरबती बराबर जलती रहनी चाहिए |१॰ चन्दन का बुरादा, २॰ तिल, ३॰ शुद्ध घी, ४॰ चीनी, ५॰ अगर, ६॰ तगर, ७॰ कपूर, ८॰ शुद्ध केसर, ९॰ नागरमोथा, १०॰ पञ्चमेवा, ११॰ जौ और १२॰ चावल।
जानने की बातें-
जिस उद्देश्य के लिये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है, उसको सिद्ध करने के लिये एक दिन हवन की सामग्री से उसके द्वारा (चौपाई, दोहा या सोरठा) १०८ बार हवन करना चाहिये। यह हवन केवल एक दिन करना है। मामूली शुद्ध मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर अग्नि रखकर उसमें आहुति दे देनी चाहिये। प्रत्येक आहुति में चौपाई आदि के अन्त में ‘स्वाहा’ बोल देना चाहिये।
प्रत्येक आहुति लगभग पौन तोले की (सब चीजें मिलाकर) होनी चाहिये। इस हिसाब से १०८ आहुति के लिये एक सेर (८० तोला) सामग्री बना लेनी चाहिये। कोई चीज कम-ज्यादा हो तो कोई आपत्ति नहीं। पञ्चमेवा में पिश्ता, बादाम, किशमिश (द्राक्षा), अखरोट और काजू ले सकते हैं। इनमें से कोई चीज न मिले तो उसके बदले नौजा या मिश्री मिला सकते हैं। केसर शुद्ध ४ आने भर ही डालने से काम चल जायेगा।
हवन करते समय माला रखने की आवश्यकता १०८ की संख्या गिनने के लिये है। बैठने के लिये आसन ऊन का या कुश का होना चाहिये। सूती कपड़े का हो तो वह धोया हुआ पवित्र होना चाहिये।
मन्त्र सिद्ध करने के लिये यदि लंकाकाण्ड की चौपाई या दोहा हो तो उसे शनिवार को हवन करके करना चाहिये। दूसरे काण्डों के चौपाई-दोहे किसी भी दिन हवन करके सिद्ध किये जा सकते हैं।
सिद्ध की हुई रक्षा-रेखा की चौपाई एक बार बोलकर जहाँ बैठे हों, वहाँ अपने आसन के चारों ओर चौकोर रेखा जल या कोयले से खींच लेनी चाहिये। फिर उस चौपाई को भी ऊपर लिखे अनुसार १०८ आहुतियाँ देकर सिद्ध करना चाहिये। रक्षा-रेखा न भी खींची जाये तो भी आपत्ति नहीं है। दूसरे काम के लिये दूसरा मन्त्र सिद्ध करना हो तो उसके लिये अलग हवन करके करना होगा।
एक दिन हवन करने से वह मन्त्र सिद्ध हो गया। इसके बाद जब तक कार्य सफल न हो, तब तक उस मन्त्र (चौपाई, दोहा) आदि का प्रतिदिन कम-से-कम १०८ बार प्रातःकाल या रात्रि को, जब सुविधा हो, जप करते रहना चाहिये।
कोई दो-तीन कार्यों के लिये दो-तीन चौपाइयों का अनुष्ठान एक साथ करना चाहें तो कर सकते हैं। पर उन चौपाइयों को पहले अलग-अलग हवन करके सिद्ध कर लेना चाहिये।
1. श्री हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए -
सुमिरि पवनसुत पावन नामू |
आपने बस करि राखे रामू ||
2. श्री राम की शरण प्राप्ति के लिये -
सुनी प्रभु वचन हरष हनुमाना |
सरनागत बच्छल भगवाना ||
3. विपत्ति नाश के लिए -
राजिव नयनं धरें धनु सायक |
भगत विपत्ति भंजन सुखदायक ||
4. परिवार की मंगल कामना हेतु -
जब तें रामु ब्याही घर आए |
नित नव मंगल मोद बधाए ||
5. जीविका प्राप्ति के लिए-
विश्व भरण पोषण कर जोइ |
ताकर नाम भारत अस होई ||
6. धन संपत्ति की प्राप्ति के लिये -
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं |
सुख संपत्ति नाना विधि पावहिं ||
7. कठिन क्लेश नाश के लिये
“हरन कठिन कलि कलुष कलेसू। महामोह निसि दलन दिनेसू॥”
8. विघ्न शांति के लिये
“सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही। राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही॥”
9. खेद नाश के लिये
“ जब तें राम ब्याहि घर आए ।
नित नव मंगल मोद बधाए॥”
10. चिन्ता की समाप्ति के लिये
“जय रघुवंश बनज बन भानू ।
गहन दनुज कुल दहन कृशानू॥”
11. विविध रोगों तथा उपद्रवों की शान्ति के लिये
“दैहिक दैविक भौतिक तापा ।
राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥”
12. मस्तिष्क की पीड़ा दूर करने के लिये
“हनूमान अंगद रन गाजे ।
हाँक सुनत रजनीचर भाजे।।”
13. विष नाश के लिये
“नाम प्रभाउ जान सिव नीको ।
कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।”
14 ॰ अकाल मृत्यु निवारण के लिये
“नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।”
15. सभी तरह की आपत्ति के विनाश के लिये / भूत भगाने के लिये
“प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन ।
जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर ॥”
16. नजर झाड़ने के लिये
“स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी ।
निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।”
17. खोयी हुई वस्तु पुनः प्राप्त करने के लिए
“गई बहोर गरीब नेवाजू ।
सरल सबल साहिब रघुराजू।।”
18. दरिद्रता मिटाने के लिये
“अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के ।
कामद धन दारिद दवारि के।।”
19. लक्ष्मी प्राप्ति के लिये
“जिमि सरिता सागर महुँ जाही ।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएँ। धरमसील पहिं जाहिं सुभाएँ।।”
20. पुत्र प्राप्ति के लिये
“प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।’
Article # 2
मानस के सिद्ध मंत्रों द्वारा सफलता एवं कष्ट निवारण
तुलसीदास जी की रामायण " रामचरित मानस एक काव्य है पर उसके विशिष्ट स्थलों की चौपाइयों, दोहों, और सोरठों को काशी विश्वनाथ के वरदान द्वारा शक्ति सम्प्पन किया गया है जो मंत्र के रूप में साधना का विषय बन सकती है |मानस के इन चौपाइयों, दोहों, और सोरठों से आपको निश्चित ही सफलता मिलेगी |
प्रयोग विधि- ये प्रयोग कोई निश्चित जप संख्या के नही है अतः शुभ दिन एवं शुभ समय देखकर साधक पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुहं करके आसन बिछाकर बैठ जाये | आसन ऊन, कुश, मृगछाला अथवा रेशमी हो सकता है|हनुमानजी का चित्र अपने सामने रखे | जाप के समय घी का दीपक तथा अगरबती बराबर जलती रहनी चाहिए |१॰ चन्दन का बुरादा, २॰ तिल, ३॰ शुद्ध घी, ४॰ चीनी, ५॰ अगर, ६॰ तगर, ७॰ कपूर, ८॰ शुद्ध केसर, ९॰ नागरमोथा, १०॰ पञ्चमेवा, ११॰ जौ और १२॰ चावल।
जानने की बातें-
जिस उद्देश्य के लिये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है, उसको सिद्ध करने के लिये एक दिन हवन की सामग्री से उसके द्वारा (चौपाई, दोहा या सोरठा) १०८ बार हवन करना चाहिये। यह हवन केवल एक दिन करना है। मामूली शुद्ध मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर अग्नि रखकर उसमें आहुति दे देनी चाहिये। प्रत्येक आहुति में चौपाई आदि के अन्त में ‘स्वाहा’ बोल देना चाहिये।
प्रत्येक आहुति लगभग पौन तोले की (सब चीजें मिलाकर) होनी चाहिये। इस हिसाब से १०८ आहुति के लिये एक सेर (८० तोला) सामग्री बना लेनी चाहिये। कोई चीज कम-ज्यादा हो तो कोई आपत्ति नहीं। पञ्चमेवा में पिश्ता, बादाम, किशमिश (द्राक्षा), अखरोट और काजू ले सकते हैं। इनमें से कोई चीज न मिले तो उसके बदले नौजा या मिश्री मिला सकते हैं। केसर शुद्ध ४ आने भर ही डालने से काम चल जायेगा।
हवन करते समय माला रखने की आवश्यकता १०८ की संख्या गिनने के लिये है। बैठने के लिये आसन ऊन का या कुश का होना चाहिये। सूती कपड़े का हो तो वह धोया हुआ पवित्र होना चाहिये।
मन्त्र सिद्ध करने के लिये यदि लंकाकाण्ड की चौपाई या दोहा हो तो उसे शनिवार को हवन करके करना चाहिये। दूसरे काण्डों के चौपाई-दोहे किसी भी दिन हवन करके सिद्ध किये जा सकते हैं।
सिद्ध की हुई रक्षा-रेखा की चौपाई एक बार बोलकर जहाँ बैठे हों, वहाँ अपने आसन के चारों ओर चौकोर रेखा जल या कोयले से खींच लेनी चाहिये। फिर उस चौपाई को भी ऊपर लिखे अनुसार १०८ आहुतियाँ देकर सिद्ध करना चाहिये। रक्षा-रेखा न भी खींची जाये तो भी आपत्ति नहीं है। दूसरे काम के लिये दूसरा मन्त्र सिद्ध करना हो तो उसके लिये अलग हवन करके करना होगा।
एक दिन हवन करने से वह मन्त्र सिद्ध हो गया। इसके बाद जब तक कार्य सफल न हो, तब तक उस मन्त्र (चौपाई, दोहा) आदि का प्रतिदिन कम-से-कम १०८ बार प्रातःकाल या रात्रि को, जब सुविधा हो, जप करते रहना चाहिये।
कोई दो-तीन कार्यों के लिये दो-तीन चौपाइयों का अनुष्ठान एक साथ करना चाहें तो कर सकते हैं। पर उन चौपाइयों को पहले अलग-अलग हवन करके सिद्ध कर लेना चाहिये।
1. श्री हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए -
सुमिरि पवनसुत पावन नामू |
आपने बस करि राखे रामू ||
2. श्री राम की शरण प्राप्ति के लिये -
सुनी प्रभु वचन हरष हनुमाना |
सरनागत बच्छल भगवाना ||
3. विपत्ति नाश के लिए -
राजिव नयनं धरें धनु सायक |
भगत विपत्ति भंजन सुखदायक ||
4. परिवार की मंगल कामना हेतु -
जब तें रामु ब्याही घर आए |
नित नव मंगल मोद बधाए ||
5. जीविका प्राप्ति के लिए-
विश्व भरण पोषण कर जोइ |
ताकर नाम भारत अस होई ||
6. धन संपत्ति की प्राप्ति के लिये -
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं |
सुख संपत्ति नाना विधि पावहिं ||
7. कठिन क्लेश नाश के लिये
“हरन कठिन कलि कलुष कलेसू। महामोह निसि दलन दिनेसू॥”
8. विघ्न शांति के लिये
“सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही। राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही॥”
9. खेद नाश के लिये
“ जब तें राम ब्याहि घर आए ।
नित नव मंगल मोद बधाए॥”
10. चिन्ता की समाप्ति के लिये
“जय रघुवंश बनज बन भानू ।
गहन दनुज कुल दहन कृशानू॥”
11. विविध रोगों तथा उपद्रवों की शान्ति के लिये
“दैहिक दैविक भौतिक तापा ।
राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥”
12. मस्तिष्क की पीड़ा दूर करने के लिये
“हनूमान अंगद रन गाजे ।
हाँक सुनत रजनीचर भाजे।।”
13. विष नाश के लिये
“नाम प्रभाउ जान सिव नीको ।
कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।”
14 ॰ अकाल मृत्यु निवारण के लिये
“नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।”
15. सभी तरह की आपत्ति के विनाश के लिये / भूत भगाने के लिये
“प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन ।
जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर ॥”
16. नजर झाड़ने के लिये
“स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी ।
निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।”
17. खोयी हुई वस्तु पुनः प्राप्त करने के लिए
“गई बहोर गरीब नेवाजू ।
सरल सबल साहिब रघुराजू।।”
18. दरिद्रता मिटाने के लिये
“अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के ।
कामद धन दारिद दवारि के।।”
19. लक्ष्मी प्राप्ति के लिये
“जिमि सरिता सागर महुँ जाही ।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएँ। धरमसील पहिं जाहिं सुभाएँ।।”
20. पुत्र प्राप्ति के लिये
“प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।’
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