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ग्रहों से सम्बंधित रोगों के योग

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यदि मेष लग्न हो और अष्टम भाव में नीच के चंद्र के साथ शनि पड़ा हो तो व्यक्ति को जलोदर की बीमारी रहती है| उसकी पाचन शक्ति खराब रहती है तथा लीवर भी खराब हो जाता है | यदि अष्टम भाव में चंद्र अकेला अथवा अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति शराबी ,व्यर्थ भ्रमण करने वाला होता है उसे हर्निया की बीमारी होती है| गैस भी हो सकती है और वायु विकार भी | यदि अष्टम भाव में केतु हो तो पेट में वायु का गोला घूमता रहता है, यदि केतु अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को अल्सर हो जाता है| यदि अष्टम भाव में नीच का मंगल हो और साथ में राहु और चंद्रमा कमजोर हो तो व्यक्ति की मृत्यु पानी में डूबने से होती है | यदि अष्टम भाव में शनि तथा लग्नेश हो तथा मंगल की शनि पर दृष्टि हो तो भी जलोदर की बीमारी होती है | अष्टम भाव में लग्नाधिपति मंगल, चंद्र और शुक्र हो तो उस व्यक्ति को हार्निया तथा सेक्स संबंधी बीमारी होती है| यदि अष्टम भाव में नीच का शनि हो अथवा अष्टम भाव के शनि पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव हो तो भी पेशाब संबंधी बीमारी होती है | यदि तुला लग्न हो और दूसरे भाव में केतु हो आठवें राहु हो लग्नाधिपति शुक्र सूर्य के...

ग्रहों से सम्बंधित रोगों के योग – भाग 2

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यदि लग्न में सूर्य हो, लग्नाधिपति नीच का हो कर मंगल के साथ हो और उस पर चन्द्र की दृष्टि हो तो भी कुष्ठ रोग की संभावना रहती है | लग्न में सूर्य शत्रु राशी का हो तो दाद रोग होता है | यदि लग्न अथवा सातवें भाव में शनि शत्रु राशी का हो तो दांतों कि बीमारी होती है | यदि तृतीय भाव, तृतीयेश, बुध एवं चन्द्र पर क्रूर ग्रहों का कुप्रभाव हो तो व्यक्ति को सांस की नाली में कष्ट होता है| उसे सदैव जुकाम रहता है| गला ख़राब रहता है और गले का ऑपरेशन कराना पड़ता है| यदि बुध नीच का हो तो तृतीय राशि शनि राहु से ग्रसित हो तो व्यक्ति को दमा हो जाता है| यदि बुध की दोनों राशियां क्रूर ग्रहों से ग्रसित हों व लग्न पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति को सांस फूलने की बीमारी रहती है | यदि मंगल वृश्चिक राशि का हो, लग्न में शत्रु ग्रह के सात बुध बैठा हो अथवा मकर लग्न में, सूर्य बुध लग्न में हो तो व्यक्ति को चेचक होती है| क्षीण चन्द्र लग्न में स्थित हो और आठवें भाव में क्रूर ग्रह हो तो बालक जल्दी मर जाता है | यदि चन्द्र कमजोर होकर पाप ग्रहों के मध्य हो अथवा पाप ग्रहों से युक्त हो तो भी बालक जल्दी ...