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व्यवसाय निर्धारण में ज्योतिष का योगदान

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प्रस्तुत लेख मेरी प्रकाशित पुस्तक ” ज्योतिष समीक्षा ” का एक अंश है | Business through Astrology व्यक्ति की आजीविका के स्रोत क्या – क्या हो  सकते हैं  ? उसका क्या व्यवहार हो सकता है ?, उसे कितने व्यवसायिक कार्यो से गुजरना पड़ेगा ? वह किस व्यवसाय में कब सफलता प्राप्त कर सकता है ? उसका कार्य शारीरिक होगा या मानसिक अथवा दोनों ही होंगे ? यह एक जटिल प्रश्न है | ज्योतिष की प्राचीन पुस्तकों में व्यवसाय से सम्बंधित जो नियम व सिद्धांत प्रतिपादित है वे सब देश काल और परिस्थितिवश वर्तमान भौतिक परिवेश में बदल चुके है | इसके लिए लग्न , द्वितीय , चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम, दशम एवं एकादश भाव एवं भावेशों की प्रक्रति, स्थिति एवं बलाबल  पर विशेष विचार किया जाना आवश्यक है | इसके अतिरिक्त  शनि, राहु, गुरु एवं बुध कि स्थिति  को भी अध्ययन में सम्मिलित करना पड़ेगा  | गुरु एवं बुध का सम्बन्ध बुद्धि एवं विद्या  से विशेष है | इसी प्रकार शनि का सम्बन्ध शारीरिक श्रम से है तथा राहू का सम्बन्ध अद्भुतता तथा विभिन्न आयामों से है | ये ग्रह स्थान विशेष के स्वामी ...

व्यापार में तरक्की के लिए अपनाए ये 8 वास्तु टिप्स

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वास्तु शास्त्र के सिद्धांत सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि ऑफिस और दुकान पर भी लागू होते हैं। यदि आपकी दुकान या ऑफिस में वास्तु दोष हो तो व्यापार-व्यवसाय में सफलता नहीं मिलती। किस दिशा में बैठकर आप लेन-देन आदि कार्य करते हैं, इसका प्रभाव भी व्यापार में पड़ता है। यदि आप अपने व्यापार-व्यवसाय में सफलता पाना चाहते हैं नीचे लिखी वास्तु टिप्स का उपयोग करें- 1. दुकान या शोरूम पूर्वमुखी होना शुभ, दक्षिण मुखी होना अशुभ ये केवल एक भ्रान्ति है। दुकान या शोरूम का मैन गेटदीवार के बीच में होना अच्छा होता है। 2. दुकान के अंदर बिक्री का सामान रखने के लिए सैल्फ, अलमारियां, शोकेस और कैश काउंटर उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना अच्छा माना जाता है। 3. दुकान के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में मंदिर या इष्टदेव की फोटो को लगाया जा सकता है। इसके अलावा इस हिस्से में पीने का पानी भी रखा जा सकता है। 4. वास्तु शास्त्र के मुताबिक बिजली के उपकरणों को रखने या स्विच बोर्ड लगाने के लिए दुकान का दक्षिण-पूर्व हिस्सा उचित माना जाता है। 5. दुकान के काउंटर पर खड़े विक्रेता का मुंह पूर्व या उत्तर की ओर और ग्राह...

व्यवसाय निर्धारण में ज्योतिष का योगदान

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व्यवसाय निर्धारण में ज्योतिष का योगदान देशकाल और परिस्थितियों के अनुसार व्यवस्थाये बदलती रहती है | इस संसार में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए रोटी, कपडा और मकान उसकी मूलभूत आवश्कताए है | इन मौलिक आवश्कताओ को व्यक्ति किसी ना किसी रूप में प्राप्त करने का प्रयत्न करता ही है | इनमे से कुछ, इन्हें बहुत जल्दी प्राप्त कर लेते है, कुछ विलम्ब से प्राप्त करते है और कुछ अपने पूरे जीवन भर संघर्षरत रहते हुए भी पूर्णरूप से प्राप्त नही कर पाते | बहुत से ऐसे भी उदाहरण देखने में है कि अपने पूर्व जन्म के कर्मो के आधार पर उन्हें पूर्वजो से ये सब साधन जन्म के समय से ही प्राप्त हो जाते है और आगे चलकर कुछ लोग इनसे वंचित भी हो जाते है और कुछ इनको अधिक विकसित कर लेते है | ये सब क्या है ? जो हमे सोचने पर विवश करते है | यदि थोडा चिंतन करे तो पायेगे की ये सब ग्रहों का ही प्रभाव है जो व्यक्ति को अपने हाथो में खिलाते रहते है | इसलिए व्यक्ति को जन्म समय के ग्रह प्रभावों का अध्ययन आवश्यक है | इस चिंतन पर ज्योतिष विज्ञान हमारी सहायता करता है | उपरोक्त मूलभूत आवश्यकताओ का सम्बन्ध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्...