व्यवसाय निर्धारण में ज्योतिष का योगदान
प्रस्तुत लेख मेरी प्रकाशित पुस्तक ” ज्योतिष समीक्षा ” का एक अंश है | Business through Astrology व्यक्ति की आजीविका के स्रोत क्या – क्या हो सकते हैं ? उसका क्या व्यवहार हो सकता है ?, उसे कितने व्यवसायिक कार्यो से गुजरना पड़ेगा ? वह किस व्यवसाय में कब सफलता प्राप्त कर सकता है ? उसका कार्य शारीरिक होगा या मानसिक अथवा दोनों ही होंगे ? यह एक जटिल प्रश्न है | ज्योतिष की प्राचीन पुस्तकों में व्यवसाय से सम्बंधित जो नियम व सिद्धांत प्रतिपादित है वे सब देश काल और परिस्थितिवश वर्तमान भौतिक परिवेश में बदल चुके है | इसके लिए लग्न , द्वितीय , चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम, दशम एवं एकादश भाव एवं भावेशों की प्रक्रति, स्थिति एवं बलाबल पर विशेष विचार किया जाना आवश्यक है | इसके अतिरिक्त शनि, राहु, गुरु एवं बुध कि स्थिति को भी अध्ययन में सम्मिलित करना पड़ेगा | गुरु एवं बुध का सम्बन्ध बुद्धि एवं विद्या से विशेष है | इसी प्रकार शनि का सम्बन्ध शारीरिक श्रम से है तथा राहू का सम्बन्ध अद्भुतता तथा विभिन्न आयामों से है | ये ग्रह स्थान विशेष के स्वामी ...