कुंडली में ह्रदय घात के योग और उपाय

जब चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव का कारक, सूर्य अथवा लग्न क्रूर प्रभाव में हो तो व्यक्ति की हृदयघात (हार्ट अटैक) की समस्या होती है |यदि लग्न अथवा लग्नेश सूर्य से प्रभावित हो, चौथे भाव से सूर्य का संबंध हो, लग्न में सूर्य शत्रु राशि में हो, चौथे भाव का स्वामी सूर्य से पीड़ित हो तो व्यक्ति को हार्ट अटैक ही होता है| यदि सूर्य की स्थिति के साथ चंद्र व मंगल की स्थिति भी ठीक ना हो तो व्यक्ति की ब्लड प्रेशर एवं हार्ट अटैक दोनों से मृत्यु हो सकती है |देखें नीचे दी हुई उदाहरण कुंडलियाँ |

कुंडली -1 में चतुर्थेश, चतुर्थ भाव कारक सूर्य एवं मंगल सभी लग्न को प्रभावित कर रहे हैं | लग्नेश मंगल की राशि में 12वें भाव में है| चतुर्थ भाव पर तथा लग्नेश शुक्र पर शनि एवं राहु की पूर्ण दृष्टि है अतः कोई भी स्थिति ऐसी नहीं है जो इस कुंडली के स्वामी को बचा सके| यह एक व्यक्ति विशेष की कुंडली है जिसको ब्लड प्रेशर भी था और हृदय रोग भी था| इसकी 40 वर्ष में ही मृत्यु हो गई| यहां हृदयेश सूर्य भी शत्रु राशि का है








उपाय  :- ह्रदय रोग के व्यक्तियों को तीन से पांच रत्ती तक माणिक्य धारण करना चाहिए, तांबे लोहे और कांसे  का मिक्स कड़ा पहनना चाहिए तथा गले में रुद्राक्ष पहनना चाहिए और ॐ जूं सः मंत्र की 11 माला नित्य जाप करना चाहिए |सूर्य को द्वादश नामों से लाल चन्दन युक्त जल से अर्घ्य देना चाहिए और नित्य आदित्यह्रदयस्तोत्र के 3 पाठ अवश्य करें साथ ही सूर्य मंत्र की 11 माला रोज जाप करें | (सूर्य से सम्बंधित वस्तुओं का दान भी लाभप्रद रहेगा )


लेखक –          ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार| अधिक जानकारी के लिये परामर्श करें ज्योतिर्विद् घनश्यामलाल स्वर्णकार  से।

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