प्रश्न कुंडली की सहायता से जानें अपने सवालों का जवाब



ग्रहों की स्थिति

ग्रहों की स्थिति और उनकी दशा के अनुसार जातक पर उनका क्या प्रभाव पड़ेगा…ये जानकारी प्राचीन ऋषि-महर्षियों द्वारा ही प्रदान की गई थी। ज्योतिषशास्त्र के अंदर ग्रहीय प्रभाव की विस्तृत व्याख्या उपलब्ध है, जिसे समझकर मनुष्य जीवन की लगभग सभी परेशानियों को सुलझाया जा सकता है।

ज्योतिषशास्त्र

सामान्यतौर पर यह माना जाता है कि ज्योतिषशास्त्र केवल तभी कारगर है जब जातक को अपने जन्म से जुड़ी हर जानकारी पता हो, मसलन जन्म की तारीख, समय, स्थान आदि। अगर ये उपलब्ध नहीं है तो ज्योतिष का लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता।
लेकिन ये भी अधूरी जानकारी है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र की अनेक शाखाएं हैं और उन्हीं में से एक है प्रश्न कुंडली। बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके पास अपना जन्म विवरण नहीं है, लेकिन प्रश्न कुंडली के जरिए वो भी अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं।

प्रश्न कुंडली

प्रश्न कुंडली के अंतर्गत जातक की कुंडली नहीं अपितु जातक द्वारा पूछे गए प्रश्न की कुंडली बनती है। प्रश्न किस समय और किस स्थान पर पूछा गया है, ये बात उल्लेखनीय है। यह समय विशेष की कुंडली मानी जाती है।
प्रश्न कुंडली के साथ एक और त्रुटि भी है। दरअसल प्रश कुंडली की सहायता से मात्र उसी सवाल का जवाब पाया जा सकता है जो आपने पूछा है, इसके अलावा आप और कुछ नहीं जा सकते। उदाहरण – ‘क्या मैं आने वाले समय में विदेश यात्रा कर पाऊंगा’? आदि प्रकार के

चंद्रमा की स्थिति

ज्यादातर मामलों में प्रश्न कुंडली का प्रयोग जातक अपनी भूमि, संपत्ति, विवाह, क्रय-विक्रय, हानि-लाभ और वर्तमान हालातों से संबंधित प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए करते हैं। सामान्यतौर पर प्रश्न कुंडली की आयु एक वर्ष की मानी गई है। प्रश्न करने वाले जातक की चिंताओं की जानकारी चंद्रमा की स्थिति देखकर पाई जा सकती है।
अगर प्रश्न कुंडली के लग्न में मजबूत चंद्रमा की स्थिति घर या निवास, दूसरे भाव में धन, तीसरे भाव में घर से बहुत दूर रहने की चिंता, चौथे भाव में घर या मकान से संबंधित कोई परेशानी।
पांचवें भाव में संतान संबंधी परेशानी, छठे भाव में ऋण, सातवें भाव में विवाह या पार्टनरशिप, आठवें भाव में पैतृक सम्पति या अप्रत्याशित लाभ, नवम भाव में चंद्र लंबी दूरी की यात्राएं, दसवें भाव में आजीविका, एकादश भाव में आयु-वृद्धि या पदोन्नति, द्वादश भाव में बलवान चंद्रमा विदेश यात्रा से संबंधित चिंताएं होने से संबंधित संकेत देता है।

प्रश्न कुंडली और मूल कुंडली

अगर प्रश्न कुंडली के साथ ही जातक की मूल कुंडली भे हासिल हो जाए तो प्रश्न का सही उत्तर अवश्य पाया जा सकता है। यही वजह है कि प्रश्न कुंडली और मूल कुंडली को एक दूसरे का पूरक माना गया है।

प्रश्न कुंडली बनाने के बाद  भाव विचार करना जरूरी है। जन्म कुंडली के अनुसार ही प्रश्न कुंडली में भी 12 भाव बनाए जाते हैं और उनके बलाबल का विचार करके निदान दिया जाता है।


1.पहले भाव से सुखआयुजातिस्वास्थ्यसुख-दुःखशारीरिक बनावट आदि का विचार करें। 
2.दूसरे भाव से धनपरिवाररत्न-आभूषणवाणीस्मरण शक्तिवस्त्र-उपहारकल्पना शक्तिदूसरा विवाहक्रय-विक्रय आदि का विचार करें। 
3.तीसरे भाव से छोटे बहन-भाईनौकरपड़ोसीलेखन कार्यसन्देशपराक्रमदाहिना कानलघु यात्रानिवास स्थान में परिवर्तन आदि का विचार करें। 
4.चौथे भाव से बगीचाखेतदवाईघरसवारीमातामुखजलजमीन में गड़ा धनमिथ्या आरोपज्ञानधरोहरशयन,ससुर आदि का विचार करें। 
5.पाँचवें भाव से संतानगर्भमंत्रविद्याबुद्धिविवेक शक्तिकलाएँप्रबंधगुरुसमाजप्रेमशासन आदि का विचार करें।
6.छठे भाव से रोगभयशत्रुमामाशंकाव्याधिविघ्ननौकरीघायल होनाप्रतियोगिताकर्जसाझीदार से झगड़ा आदि का विचार करें। 
7.सातवें भाव से विवाहस्त्री या पतिप्रेम संबंधखोई हुई वस्तुव्यापारलेनदेनविवादशयनशैय्या सुख आदि का विचार करें। 
8.आठवें भाव से मरणसंकटस्त्री का धनआयु विचारशत्रु द्वारा हानिझगड़ाससुरालभूत बाधामानसिक अशांतिराज दंडव्यसन आदि का विचार करें। 
9.नवें भाव से भाग्यधर्मतीर्थ यात्रागुरुदेवतादीर्घ यात्रापुण्य कर्मपिताविदेश यात्रादानउपासनानाती-पोतेदया भाव आदि का विचार करें। 
10.दसवें भाव से व्यवसाय,राज्य से लाभ-हानि,पदतरक्कीसासराजनीति में दखलकार्य शैलीदफ्तरप्रतिष्ठा आदि का विचार करें। 
11.ग्यारहवें भाव से सवारीअन्नवस्त्रमित्रव्यापारविद्याबड़े भाई-बहनबायाँ कानसास का धनबहू-दामाद आदि का विचार करें। 
12.बारहवें भाव से स्थान परिवर्तनभोगविवाददानव्ययउधार देनाजेल यात्राकर्ज आदि का विचार करें। 

शुभ ग्रह, शुभ फल दाता और अशुभ ग्रह, अशुभ फल दाता होते हैं।

लेखक –          ज्योतिर्विद्ः घनश्यामलाल स्वर्णकार|
अधिक जानकारी के लिये परामर्श करें ज्योतिर्विद् घनश्यामलाल स्वर्णकार  से।

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