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विविध समस्याओं का जैन मंत्रो द्वारा समाधान

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|| नवग्रहशांति कारक मंत्र || सूर्य ग्रह के लिए पद्प्रभ, सोमग्रह के लिए चंद्रप्रभ, मंगलग्रह हेतु वासुपूज्य, बुधग्रह के लिए मल्लिनाथ, गुरूग्रह हेतु वर्धमान, शुक्रग्रह हेतु पुष्पदंतनाथ, शनिग्रह हेतु मुनिसुव्रतनाथ, राहुग्रह हेतु नेमिनाथ एवं केतुग्रह के लिए पाश्र्वनाथ भगवान हैं। ये इन नवग्रहों के स्वामी माने हैं। ऊँ ह्रीं अर्हं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक-श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू स्वाहा। ऊँ ह्रीं अर्हं सोमग्रहारिष्टनिवारक-श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू स्वाहा। ऊँ ह्रीं अर्हं मंगलग्रहारिष्टनिवारक-श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू स्वाहा। ऊँ ह्रीं अर्हं बुधग्रहारिष्टनिवारक-श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू स्वाहा। ऊँ ह्रीं अर्हं गुरूग्रहारिष्टनिवारक-श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू स्वाहा। ऊँ ह्रीं अर्हं शुक्रग्रहारिष्टनिवारक-श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू स्वाहा। ऊँ ह्रीं अर्हं शनिग्रहारिष्टनिवारक-श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू स्वाहा। ऊँ ह्रीं अर...